
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से देश में अपनी डिजिटल करेंसी लाने का फैसला लिया गया है। इस मामले में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास का एक बयान भी सामने आया था। जिसके अनुसार आरबीआई दिसंबर तक अपने डिजिटल करेंसी के लिए पायलट प्रोजेक्ट लांच करने की तैयारियों में लगा हुआ है। इसके साथ ही शक्तिकांत दास का कहना था कि आरबीआई चरणबद्ध तरीके से देश में डिजिटल करेंसी लाने पर काम कर रहा है। इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि आरबीआई सेंट्रल बैंक की डिजिटल करेंसी को लेकर बहुत सचेत है। यह इसका नया प्रोडक्ट है और इसमें किसी तरह की गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं छोड़ी जाएगी।
CBDC की खासियत
भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से लाया जा रहा सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी एक लीगल टेंडर की तरह ही काम करेगा। सीबीडीसी के पीछे भारत के केंद्रीय बैंक का भी बैकअप होगा। यह आम मुद्रा की तरह ही होगा, लेकिन डिजिटल फॉर्मेट में पेश किया जाएगा। जैसे लोग सामान या सेवाओं के बदले करेंसी देते हैं, उसी तरह CBCD से भी आप लेनदेन कर पाएंगे। करेंसी नोट की तुलना में इस करेंसी में सिर्फ एक ही फर्क रहेगा कि यह डिजिटल फॉर्मेट में पेश किया जाएगा।
डिजिटल करेंसी का आइडिया
कहा जा रहा है कि डिजिटल करेंसी लाने का यह आइडिया कोई नया नहीं है बल्कि हाल ही में कई विशेषज्ञों ने इस बारे में साफ कहा है कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी का आइडिया अमेरिकन अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित जेम्स टोबिन ने दिया है। जिन्होंने साल 1980 में पेमेंट करने के डिजिटल फॉर्मट का प्रस्ताव भी पेश किया था।
Cypto और CBDC में अंतर
बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी डिजिटल इंक्रिप्टेड है, डिसेंट्रलाइज्ड है और किसी सरकार या सरकारी संस्था से इसका कोई संबंध नहीं है। इसके साथ ही सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी आम मुद्रा का ही डिजिटल वर्जन होगा जिसकी गारंटी सरकार देगी। क्रिप्टो करेंसी स्वतंत्र रूप से ऑपरेट करती है जबकि CBDC आम मुद्रा देश के सेंट्रल बैंक की मुद्रा है।