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नई दिल्ली। क्रिप्टोकरेंसी के रेगुलेशन को लेकर अभी तक किसी तरह का बिल नहीं आया है। लेकिन विशेषज्ञों द्वारा निवेशकों को इससे जुड़ी सावधानियां और सलाह लगातार दी जा रही हैं। क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा सबसे बड़ा मुद्दा है उससे होने वाली आय का। दरअसल वित्तीय विशेषज्ञों की मानें तो जिन लोगों ने क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किया हुआ है, या क्रिप्टो से उन्हें जो भी इनकम हुई है उसका इनकम टैक्स रिटर्न में खुलासा नहीं किया गया है। तो ऐसे में यह निवेशकों के लिए परेशानी बड़ा सकता है। उनका साफ कहना है कि आधे लोगों ने इसे बिजनेस इनकम के तौर पर दर्शाया है। वह ये मान रहे हैं कि 30 प्रतिशत टैक्स चुकाकर वो बच जाएंगे।
लेकिन आपको बता दें कि यदि क्रिप्टोकरेंसी पर 50 से 60 फीसदी तक का टैक्स लगाया जाता है तो निवेशकों को इसका नुकसान जरूर होगा। वहीं जिन निवशकों ने वित्त वर्ष 2020-21 के आईटीआर नहीं भरा है वह ध्यान जरूर रखें। यदि आप आईटीआर भर चुके हैं और इसका उल्लेख नहीं किया गया है तो कर विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
क्रिप्टोकरेंसी आने का कारण
इस पर बताया गया है कि दुनिया में यदि अमेरिका जैसे देश पैसा छापते रहते तो तो उसकी वैल्यू कम होती जाती। साथ ही महंगाई भा लगातार बढ़ती रहती। लिहाजा डिजिटल करेंसी का कांसेप्ट मार्केस में लाया और इसे 2.10 करोड़ तक सीमित भी किया गया। यानी अंधाधुंध डिजिटल करेंसी नहीं छप सकती। कई देशों में इसका लेनदेन भी किया जा सकता है। इस पर भारत का कहना है कि अगर हम ऐसी करेंसी में लेनदेन की अनुमति देते हैं तो वह सरकारी डिजिटल करेंसी ही होगी। क्रिप्टो जैसी डिजिटल करेंसी का आतंकी फंडिंग, ड्रग्स तस्करी में दुरुपयोग किया जा सकता है।
भारत में रेगुलेशन क्यों
बताया गया है कि चीन क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बार-बार नियमन करना चाहता था, लेकिन वह असफल रहा। इस पर पीएम मोदी का कहना है कि क्रिप्टो पर नियंत्रण करना होगा। उन्होंने सभी देशों से भी यह अपील की है कि इस मुद्दे पर एक साथ आएं।
क्या करें निवेशक
बताया जा रहा है कि इस बिल की स्पष्टता के बाद ही यह तय हो पाएगा कि निवेशक आगे क्या करें। माना जा रहा है कि इसमे एग्जिट रूट की संभावना है। तैयारी कर लेनी चाहिए कि जिस क्रिप्टोकरेंसी में आपने निवेश किया है, वो बैन भी हो सकती है।